रिसोर्ससैट लिस IV डेटा से भारतीय राज्यों के लिए एआई आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र निष्कर्षण
सात भारतीय राज्यों (गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश) के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र निष्कर्षण किया जाता है। इन छह राज्यों की सौर क्षमता का कुल प्रतिशत भारत की कुल सौर क्षमता का 93.6% है। वर्ष (जनवरी-अप्रैल) 2023 के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों से स्वचालित निष्कर्षण कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित गहन शिक्षण न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके किया गया है। भारतीय सुदूर संवेदन (आईआरएस) रिसोर्ससैट-2ए लिस IV उपग्रह डेटा का उपयोग 5मी. भू स्थानिक विभेदन तथा तीन स्पेक्ट्रमी बैंड हरा, लाल और एनआईआर के साथ किया जाता है। अध्ययन में 2018 से 2023 तक के सौर संयंत्रों के स्थानिक परिवर्तन विश्लेषण भी शामिल हैं। यह देखा गया है कि विगत पाँच वर्षों में सौर ऊर्जा संयंत्र इंवेंटरी लगभग राजस्थान में 6.3 गुना, गुजरात में 2.5 गुना, मध्य प्रदेश में 1.5 गुना, महाराष्ट्र में 1.57 गुना, कर्नाटक में 1.25 गुना, तेलंगाना में 0.3 गुना और आंध्र प्रदेश में 1.87 गुना बढ़ी है। यह कार्य टीडीपी के तहत शीर्षक "डीप लर्निंग बेस्ड सोलर प्लांट्स आइडेंटीफिकेशन यूजिंग हाई-रिजोल्यूशन रिमोट सेंसिंग डेटा” के अनुसार किया गया है। आईआरएस डेटा का उपयोग करके अखिल भारतीय स्तर पर सौर ऊर्जा संयंत्रों का निष्कर्षण प्रगति पर है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें (पीडीएफ माप:1.20एमबी भाषा: अंग्रेजी) |
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एनडब्ल्यूआईए- उच्च विभेदन सुदूर संवेदन आकलन तथा विश्लेषण
भारत को आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की विशाल विविधता का वरदान प्राप्त है, जो कार्बन और जल विज्ञान चक्रों को विनियमित करने, जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण में लचीलापन, जल संबंधी आपदाओं, पोषक चक्रण, स्थानीय अर्थव्यवस्था आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बढ़ते जनसंख्या दबाव और विकास गतिविधियों के कारण भारत सहित पूरे विश्व में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन की चिंता बढ़ रही है। अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, इसरो ने 5 मी. स्थानिक विभेदन (लगभग 4000 परिदृश्यों) के बहु दिनांक तथा बहु – मौसमीय रिसोर्ससैट-2/2ए लिस IV डेटासेटों का उपयोग कर राष्ट्रीय आर्द्रभूमि भू स्थानिक डेटासेट जनित किए हैं। आर्द्रभूमियों को वर्गीकृत करने के लिए आईयूसीएन/आरएएमसार परिभाषित और सुदूर संवेदित डेटा पर आधारित आर्द्रभूमि वर्गीकरण प्रणाली का उपयोग किया गया था। कुल बीस प्रकार की आर्द्रभिमियां मानचित्रित की गईं। 1:10000 पैमाने पर आर्द्रभूमियों का राष्ट्रव्यापी मानचित्रण आर्द्रभूमियों की वर्तमान स्थिति, इनके प्रकार, सीमा, क्षेत्र, प्राचल, स्थिति, वितरण इत्यादि उपलब्ध कराता है। कुल आकलित आर्द्रभूमि क्षेत्र 16.89 मेगा हेक्टेयर है, जोकि देस के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.12% है। कुल 3.58 मिलियन आर्द्रभूमियों का मानचित्रण किया गया, जिनमें से 2.49 मिलियन आर्द्रभूमियां (क्षेत्र >= 0.1 हे.) बहुभुज विशेषताओं के रूप में तथा 1.09 मिलियन आर्द्रभूमियां ( < 0.1 हे.) बिंदु विशेषताओं के रूप में हैं। भू स्थानिक विश्लेषण के साथ-साथ आर्द्रभूमियों के आंकड़ों को एटलस के रूप में सामने लाया जा रहा है यह राष्ट्रीय आर्द्रभूमि का कार्य सरिता (उपग्रह आधारित नदी बेसिन जलीय तकनीक तथा अनुप्रयोग) कार्यक्रम के तहत राज्य सुदूर संवेदन केंद्रों तथा विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से किया गया है। भू स्थानिक डेटा के बारे में अधिक जानकारी के लिए (https://vedas.sac.gov.in/wetlands/index.html) देखें। आर्द्रभूमियों की कल्पना करने के लिए यहां क्लिक करें एटलस डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें (पीडीएफ माप:709एमबी भाषा: अंग्रेजी) |
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भारतीय आर्द्रभूमि का अंतरिक्ष आधारित प्रेक्षण
भारत आर्द्रभूमि परितंत्रों की व्यापक विविधता से संपन्न है, जो कार्बन तथा जलविज्ञान संबंधी चक्रों को नियंत्रित करने, जलवायु परिवर्तन एवं भूमि अपक्षयन, जल संबंधी आपदाओं, पोषक तत्व चक्रण, स्थानीय अर्थव्यवस्था आदि को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जनसंख्या विस्फोट दवाब एवं विकासोन्मुखी गतिविधियों के कारण भारत सहित संपूर्ण विश्व में आर्द्रभूमि के संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु चिंता बढ़ती जा रही है। इसलिए अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने अपने सरिता (उपग्रह आधारित नदी जल वैज्ञानिक तकनीक एवं अनुप्रयोग) कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय आर्द्रभूमि इंवेटरी एवं आकलन-द्वितीय चक्र तैयार किया है, यह कार्यक्रम अंतरिक्ष विभाग से वित्तपोषित है। इस राष्ट्रीय आर्द्र-भूमि भू-डेटाबेस का विकास बहु-डेटा रिसोर्ससैट-2/2ए, लिस-III डेटासेटों के प्रयोग से और अनेक साझीदार संस्थानों के सहयोग से किया गया है। 1:50000 के पैमाने पर आर्द्र-भूमि के राष्ट्र-व्यापी मानचित्रण आर्द्रभूमि, इसके प्रकार, विस्तार, आकार, अवस्थिति, वितरण और दशकीय परिवर्तनों की मौजूदा स्थिति उपलब्ध कराता है। भू-स्थानिक विश्लेषण सहित आर्द्रभूमि इंवेटरी सांख्यिकी को “भारतीय आर्द्रभूमि का अंतरिक्ष आधारित प्रेक्षण” शीर्षक से एटलस के रूप में तैयार किया गया है। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें (पीडीएफ माप:471एमबी भाषा: अंग्रेजी) |
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अक्टूबर 18, 2021 को माननीय वीसी, नीति आयोग द्वारा 'भारत के भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र' का शुभारंभ
भारत के भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र को 18 अक्टूबर, 2021 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार द्वारा लॉन्च किया गया। इस अवसर पर डॉ. के. सिवन, अध्यक्ष, इसरो, श्री अमिताभ कांत, सीईओ, नीति आयोग, डॉ वीके सारस्वत, सदस्य, नीति आयोग और श्री नीलेश एम देसाई, निदेशक सैक ने शिरकत की। नीति आयोग और इसरो ने संयुक्त रूप से विद्युत मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, और परमाणु ऊर्जा विभाग के सहयोग से भारत के भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र को विकसित किया है। वेबसाइट वर्तमान में भारत में ऊर्जा क्षेत्र की 27 विषयगत परतों का अभिगम प्रदान करती है। भारत के भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें
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डी 28 की टक्कर के कारण आपाती केल्विंग घटनाएं
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें (पीडीएफ माप:418केबी भाषा: अंग्रेजी) |
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चक्रवात यास से संबंधित सतही जलप्लावन का आकलन और जल आविलता में परिवर्तन
यास चक्रवात से आई अचानक बाढ़ ने तटीय क्षेत्रों के अनेकों निचले इलाकों को प्रभावित किया है और आर्द्रभूमि की आविलता में परिवर्तन लाया है। सतही जलप्लावन, वर्षा और पानी की गुणवत्ता सहित विभिन्न जल विज्ञान संबंधी पहलुओं पर चक्रवात के प्रभाव का आकलन करने के लिए अध्ययन किया गया। संश्लेषी द्वारक रडार सेंटिनल-1 और उन्नत सूक्ष्मतरंग स्कैनिंग विकिरणमापी (एएमएसआर-2) डेटासेट का उपयोग कर सतही जलप्लावन का आकलन किया गया। निकट के नदियों और झीलों की आविलता में परिवर्तन को समझने के लिए सेंटिनल-2 के प्रकाशीय डेटासेट का विश्लेषण किया गया। संचयी वर्षा द्वारा 23 मई 2021 से 28 मई 2021 की अवधि के दौरान उड़ीसा में तूफान के टकराने के स्थान पर वर्षा की उच्च मात्रा (> 300 मिमी) को दर्शाया गया। भद्रक, केंद्रपाड़ा सहित उड़ीसा के तटीय जिलों में भारी बाढ़ देखी गई। दीघा तट के पास, पूर् अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें (पीडीएफ माप:743केबी भाषा: अंग्रेजी) |
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अखिल भारतीय सेंटिनल-1 सार डेटा अब दृश्यीकरण और विश्लेषण के लिए उपलब्ध है
वेदास पर सेंटिनल1-ए एवं बी सार डेटा को डाउनलोड, संसाधित और प्रदर्शित करने के लिए अब एक पूर्णतः स्वचालित प्रक्रिया स्थापित
की गई है। भूनिधि पोर्टल से सेंटिनल1_सार(आईडब्ल्यू)_जीआरडी डेटा स्वत: डाउनलोड किया जा सकता
है; स्नैप टूल का प्रयोग कर संसाधित किया जा सकता है और उपयोगकर्ताओं के लिए वेदास पर प्रकाशित
किया जा सकता है। उपयोगकर्ता अति द्रुत गति से वेब आधारित दृश्यीकरण तथा विश्लेषण कर सकता है।
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सूक्ष्मतरंग डेटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर (मिडास)
(सूक्ष्मतरंग तकनीक विकास प्रभाग, एएमएचटीडीजी, एप्सा, सैक द्वारा विकसित) सूक्ष्मतरंग डेटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर (मिडास) सूक्ष्मतरंग सुदूर संवेदन डेटा के अध्ययन और विश्लेषण के लिए सैक द्वारा विकसित एक सॉफ्टवेयर है। मिडास एक आत्मनिर्भर, पोर्टेबल सॉफ्टवेयर है जिसे सी++ और जावा में विकसित किया गया है। यह जीएसएल2, टीक्यूडीएम, लिबटिफ और डीजीएएल पर निर्भर है। ये मिडास के साथ ही प्रदान किए जाते हैं और मिडास का उपयोग करने से पहले इन्हें स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह सॉफ्टवेयर, आरआईसैट-1, चंद्रयान-2 डीएफसार, एलएस-एसार (निसार मिशन के लिए हवाई अग्रदूत), आदि जैसे इसरो सार मिशन का प्रबंधन करता है। इसके अलावा, मिडास एएलओएस-1, रेडारसैट-2 और यूएवीसार डेटासेट के प्रसंस्करण को भी सहयोग प्रदान करता है। इसमें डेटा को सी3/टी3/सी4 मैट्रिसेस, स्पेकल-फ़िल्टरिंग, ध्रुवणमापन अपघटन (पाउली, यामागुची, एच-ए-अल्फ़ा आदि) में बदलने के लिए समर्थन प्रदान करके, अनेक ध्रुवणमापन डेटा विश्लेषण विशेषताएं हैं। मिडास उपयोगकर्ता द्वारा परिभाषित आरओआई चयन द्वारा विशार्ट वर्गीकरण का समर्थन करता है। मिडास डाउनलोड करने के लिये यहाँ क्लिक करें मिडास आरआईसेट1ए समय श्रखला प्रोसेसर डाउनलोड करने के लिये यहाँ क्लिक करें |
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उन्नत उच्च वर्णक्रमी डेटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर (एवीएचवायएएस)
(उच्च वर्णक्रमी तकनीक विकास प्रभाग (एएमएचटीडीजी, ईपीएसए, सैक, इसरो, अहमदाबाद, गुजरात-380015) द्वारा विकसित) उन्नत उच्च वर्णक्रमी डेटा विश्लेषण सॉफ्टवेयर (एवीएचवायएएस संस्करण-1) उच्च वर्णक्रमी डेटा के प्रसंस्करण, विश्लेषण और दृश्यीकरण के लिए केंद्र में विकसित एक उपकरण है। एवीएचवायएएस उपकरण को क्यूजीआईएस प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ा गया है जो जीआईएस क्षमताओं के लिए एक खुला स्रोत जीआईएस वातावरण है और उच्च वर्णक्रमी प्रतिबिंब विश्लेषण के लिए क्यूजीआईएस प्रदान करता है। एवीएचवायएएस का बैक एंड फ्रेमवर्क पायथन 3.7, साइकिट-लर्न, जीडीएएल, टेंसर फ्लो पर बनाया गया है जबकि फ्रंट एंड क्यूटी डिज़ाइनर के साथ क्यूजीआईएस 3.14 है। एवीएचवायएएस के प्रमुख मॉड्यूल वायुमंडलीय सुधार, गहन शिक्षण वर्गीकरण, डेटा फ्यूजन, वर्णक्रमीय अनमिक्सिंग, अभिलक्षणन निष्कर्षण, लक्ष्य का पता लगाना, भूभौतिकीय अनुप्रयोग आदि के साथ-साथ डेटा गुणवत्ता मूल्यांकन, पूर्व-प्रसंस्करण और बुनिय डाउनलोड करने के लिये यहाँ क्लिक करें (ZIP माप:2.0जीबी) |
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अंटार्कटिका की खोज
यह पुस्तक राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (ईएसएसओ-एनसीपीओआर) द्वारा समन्वित अंटार्कटिका के अभियानों में भाग लेने के एक दशक (2009-2019) के लंबे अनुभव और पृथ्वी अवलोकन डेटा का उपयोग करके अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (सैक-इसरो) द्वारा अंटार्कटिका क्षेत्र में किए गए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों की मुख्य विशेषताएं प्रस्तुत करती है। अध्ययन में इसरो द्वारा लॉन्च किए गए संवेदकों जैसे अल्टिका, स्कैटसैट-1, ओस्केट, एमएसएमआर, आरआईसैट, एडब्ल्यूआईएफएस, लिस-III, लिस-IV आदि का उपयोग करते हुए समुद्री बर्फ, बर्फ आच्छादन और हिम उपांत का विश्लेषण और तकनीक विकास शामिल है। फील्ड अध्ययन में भारती और मैत्री स्टेशनों पर किया गया मापन शामिल है। किताब पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (पीडीएफ माप:35.1एमबी भाषा: अंग्रेजी) |
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भारतीय क्षेत्र के लिए एसपीआई और वीसीआई आधारित वास्तविक समय सूखा निगरानी
सूखा एक जटिल प्राकृतिक घटना है जो कृषि को अत्यधिक प्रभावित करती है। सूखे का शीघ्र पता लगाने से हितधारकों को काउंटर उपाय करने और समय पर सलाह देने में मदद मिलती है। वेदास ने व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मानक वर्षा सूचकांक (एसपीआई) और वनस्पति स्थिति सूचकांक (वीसीआई) प्रदान करके अपनी टोकरी में सूखा निगरानी कार्यक्षमता को जोड़ा है। वेदास राज्य के साथ-साथ तालुका स्तरों पर मासिक और 1 महीने का साप्ताहिक एसपीआई प्रदान कर रहा है। मासिक SPI की गणना CHIRPS वर्षा डेटा का उपयोग करके की जा रही है, जबकि 1 महीने के साप्ताहिक SPI की गणना 1981-2018 CHIRPS वर्षा डेटा के आधार पर NOAA और CHIRPS वर्षा डेटा का उपयोग करके की जा रही है। यह इसके वनस्पति स्थिति डैशबोर्ड पर उपलब्ध है। यह स्थानिक विश्लेषण (मानचित्र) के साथ-साथ डेटा विश्लेषण (पाई चार्ट और बार चार्ट) कार्यात्मकताओं के साथ भी सक्षम है। मानक वर्षा सूचकांक (एसपीआई) को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
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ब्रह्मपुत्र नदी के लिए प्रायोगिक लघु रेंज जल स्तर और बाढ़ का पूर्वानुमान
दुनिया में उच्चतम विशिष्ट निर्वहन नदी प्रणाली होने के नाते, ब्रह्मपुत्र नदी सालाना मानसून के मौसम के दौरान लंबी अवधि की बाढ़ तरंगों का अनुभव करती है। इसलिए, डब्ल्यूआरएफ-हाइड्रो मॉडल की स्थापना की जाती है और गुवाहाटी गेज स्टेशन पर ब्रह्मपुत्र नदी में मानसूनी बाढ़ की स्थिति के दौरान 3-दिवसीय जल स्तर और बाढ़ की संभावना का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किया जाता है और यह भविष्यवाणी वेदास पर कल्पना की जाती है। जल विज्ञान अनुप्रयोग में उपग्रह अल्टीमेट्री से प्राप्त भारत के विभिन्न जल निकायों के जल स्तर की भी कल्पना की गई है। जल विज्ञान अनुप्रयोग और पूर्वानुमान को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
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